मेरे ऑफिस की खिड़की से दिखते है - दो पेड़, नीलगिरी और केसिया के और रंगमंच के सामने बनी अर्धचन्द्राकार सीढियों का एक भाग. केसिया का मुख्या तना नीलगिरी के पीछे छिपा दिखता है और केसिया की काली शाखाएं नीलगिरी के सफ़ेद तने से निकलती दिखती है. नीलगिरी काफी ऊंचाई पर शाखित है जो मेरी खिड़की के दृश्य क्षेत्र से बाहर है अत: उसके हलके हरे पत्तों का विरल फैलाव दिखाई नहीं देता वही केसिया अपनी समृद्ध शाखाओं में गाढ़े हरे घने पत्ते समेटे मेरी पूरी खिड़की के दृश्य क्षेत्र को घेरे हुए है.

नीलगिरी के सफ़ेद बेरंग दरख़्त से निकली दिखती केसिया की काली शाखाएं मानो सफ़ेदपोश जमात में जड़े फैलाई बुराइयाँ लगती है और नीलगिरी का परत उधड़ा सफ़ेद बेरंग दरख़्त लाखों करोड़ो लोगो की जिंदगी की परत उधडी कड़वी सच्चाई,केसिया के गाढ़े हरे पत्ते लगते उदासी ओढा मन जिस तक ताजा हवा का झोंका भी पहुचना मुश्किल हो. पेड़ के नीचे से दिखती रंगमंच की सीढियां दर्शकों की प्रतीक्षा में, मानो जिंदगी खुशियों के इंतजार में उदास खड़ी हो.पेड़ की शाखाओं में पड़ी गांठो को देख मन की गांठे उभरने लगती है
अपनी टेबल छोड़ खिड़की के पास खड़े होने पर एक कोने पर नीले गगन को छूता, अपने नाम को सार्थक करता नीलगिरी का विरल फैलाव दिखता है और दिखता है उन्मुक्त आकाश. आसमान में उड़ते पंछी दिखते है, कुछ आढ़ी-तिरछी उड़ान भरते तो कुछ स्थिरता लिए धीर-गंभीर उडान भरते. उन्मुक्त गगन का दर्शन मानो मन के बंधन भी खोल देता है. विचार कैद से आजाद होने लगते है, एक, दो, तीन, चार.....अरे ये तो विचारों की बौछार ही होने लगी है. खुला आसमान जिंदगी के नए आयाम खोल देता है, लगता है मै भी उड़ने लगी हूँ हवा सी हल्की होकर इसलिए मुझे खुला आसमान, उड़ते पंछी, बहुत अच्छे लगते है.इससे मन का बोझ दूर हो जाता है. लगता है
मन आसमान सा खाली हो गया है और मन में विचारों का स्रोत सा फूट पड़ता है लगता है मन तारों भरे आसमान सा भर गया है. मन खाली भी भरा भी पर ये खालीपन ये भराव बहुत सकारात्मक परिवर्तन लाता है. अब रंगमंच की सीढियाँ उदास नहीं अपितु दर्शक बच्चों की किलकारियों, खुशियों, किशोरों की अल्हड़ता, जवानों के जोश और वृद्धों के अनुभव से समृद्ध लगती है. मन ये सोच अचम्भित होता है कि यदि ये मानव होती तो नित नए दर्शको और नाटको के मंचन से अनुभव के गागर भरते जिं दगी के अनगिनत रंगों पर डॉक्टरेट कर सकती.
केसिया के काले तने को ढंका नीलगिरी का सफ़ेद तना अब महसूस कराता है कि जीवन के स्याहपक्ष जीवन के श्वेतपक्ष के पीछे ही जगह पाते है. दुःख या मुश्किलें खुशियों के सामने आते ही विस्मृत हो जाती है भले ही उनकी कसक उनका अहसास रह जाये. खिड़की पर खड़े होने से सिर्फ केसिया की काली शाखाएं और पत्ते ही नहीं दिखते अपितु अब इसकी फुनगियो पर लगे चटख पीले खुशनुमा फुल भी दिखते है. जो जिन्दगी की खुशियों का अहसास करा जाते है. ऐसा लगता है मेरी बीती जिंदगी में भी ऐसे ही चटख फूलो के गुच्छे बीच-बीच में खिले हुए है. केसिया की फलियाँ गतिमान जीवन और जीवन की एकमात्र सच्चाई और उसके बाद फिर नवीन जीवन का अहसास दिलाती है. नजर पड़ती है गांठो से आगे बढ़ी शाखाओं पर जो बाधाओं को छोड़ आगे बढ़ने को प्रेरित करती है पेड़ों की फैली शाखाएं देख लगता है मानो पेड़ अपनी बाहें पसारे आसमान की ओर से मुझे बुला रहे हों. जाने कैसा खिंचाव सा महसूस होता है, मन अनजानी सी ख़ुशी से भर जाता है और जिंदगी उर्जा से परिपूर्ण कुछ करने को तत्पर हो उठती है.
प्रकृति उर्जा से परिपूर्ण होती है वाकई इसकी छोटी से छोटी झप्पी भी जादू की तरह काम करती है.
बहुत प्रशंसनीय.......
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteप्रकृति उर्जा से परिपूर्ण होती है वाकई इसकी छोटी से छोटी झप्पी भी जादू की तरह काम करती है...Yes, I have experienced this several times...
ReplyDeleteउर्जा बस रूप बदल लेती है.
Deleteसृजनात्मक लेखन और निबंध शैली की एक अप्रतिम बानगी
ReplyDeleteआपके प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद .
Deleteसृजनात्मक लेखन
ReplyDeleteBahut behtarin lekh.
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